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अजमेर न्यूज़: स्वयं के व्यवहार और कर्म से दें विद्यार्थियों को शिक्षा- शिक्षा राज्यमंत्राी

अजमेर। शिक्षकों को स्वयं के व्यवहार और कर्म से विद्यार्थियों को शिक्षा एवं संदेश प्रदान करने चाहिए। इस प्रकार की शिक्षा विद्यार्थी के जीवन में स्थायी सकारात्मक परिवर्तन लाती है। यह बात शिक्षा राज्यमंत्राी वासुदेव देवनानी ने शनिवार को केन्द्रीय बालिका विद्यालय में 6 जिलों के प्रधानाचार्यों के 10 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में कही।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा तृतीय चरण में घोषित 6 जिलों के आदर्श विद्यालयों के प्रधानाचार्यों के लीडरशिप प्रशिक्षण शिविर में प्रतिभागियों को स्कूल के साथ-साथ समाज को नेतृत्व प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित किया गया। प्रधानाचार्य को अच्छे प्रशासक के साथ-साथ ज्ञानवान होना भी आवश्यक है। उसका विद्यालय के प्रति सम्र्पण तथा उसे सर्वश्रेष्ठ बनाने का भाव भी होना चाहिए। विद्यालय के कार्यों के प्रति प्रतिबद्धता एव सम्र्पण भाव से टीम का नई ऊर्जा एवं प्रेरणा मिलती है।
उन्होंने कहा कि प्रधानाचार्य को दूसरों से की जाने वाली अपेक्षा का आरम्भ स्वयं से करना चाहिए। इससे टीम को कार्य करने का बेहतर वातावरण मिलता है। प्रधानाचार्य को प्रशासक के स्थान पर परिवार का मुखिया बनकर कार्य करने से विद्यालय के कार्मिक मन लगाकर काम करेंगे। सबको साथ लेकर कार्य करने से कार्य की गति एवं गुणवत्ता में वृद्धि होगी। विद्यालय के कार्मिकों से जुड़ाव पैदा करने के लिए विद्यालय समय के पश्चात मेल मुलाकात की जानी चाहिए। परिवार के स्तर तक सम्पर्क होने से कार्मिक का संस्थान प्रधान के प्रति लगाव बढ़ जाता है।
उन्होंने कहा कि विद्यालय के दैनिक कार्यों के सम्पादन के लिए नियमानुसार प्रक्रिया अपनायी जानी चाहिए। निष्पक्षता एवं पारदर्शिता के साथ कार्य करने से कार्मिकों में अनुशासन पैदा होता है। विद्यालय समय से पहले एवं बाद में स्कूल के लिए समय देना चाहिए। इस प्रकार का स्वभाव बन जाने से कार्मिकों एवं अभिभावकों में भी विद्यालय के प्रति सम्र्पण भाव बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानाचार्य के पांव में चक्कर, मुंह में शक्कर, सर पर बर्फ और सीने में आग होने से वह श्रेष्ठ विद्यालय का निर्माण कर सकता है।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष राजकीय विद्यालयों का परीक्षा परिणाम बेहतर रहा है। गत तीन वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। इस वर्ष लगभग 50 प्रतिशत राजकीय विद्यालयों में शत-प्रतिशत परीक्षा परिणाम दिया है। आगामी सत्रा से राज्य के समस्त विद्यालयों में शत-प्रतिशत परीक्षा परिणाम के लिए मिशन मोड पर प्रयास किए जाएंगे। मुख्यमंत्राी जन सहभागिता योजना के अन्तर्गत 40 प्रतिशत राशि जन सहयोग से उपलब्घ हाने पर शेष राशि राज्य सरकार के द्वारा प्रदान की जाएगी। इससे विद्यालयों में संसाधनों में बढ़ोतरी होगी। नागौर जिले के रियांबड़ी में स्थित राजकीय विद्यालय में स्थानीय भामाशाहों के सहयोग से पर्याप्त संसाधन प्राप्त हुए है। यह एक मिशाल है।
उन्होंने कहा कि शीघ्र ही लगभग 12 हजार व्याख्याताओं का पदस्थापन किया जाएगा। जिला शिक्षा अधिकारियों के पद भरने की प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है। शिक्षा के क्षेत्रा में राजस्थान देश के अग्रणी राज्यों में शुमार हुआ है। राजस्थान का शिक्षा माॅडल कई राज्यों के लिए नजीर बना है। शीघ्र ही यह भारत का उत्कष्र्ट राज्य होगा।
शिक्षा राज्य मंत्राी ने शिविर में अध्यापकों के साथ किया भोजन
शिक्षा राज्य मंत्राी वासुदेव देवनानी ने आवासीय शिविर में प्रधानाचार्यों के साथ भोजन किया। शिविर के प्रतिभागियों के साथ बातचीत में विद्यालय की समस्याओं के बारे में चर्चा की । शिविर में जालोर, टोंक, भीलवाड़ा, सिरोही, नागौर एवं पाली के 53 प्रधानाचार्य भाग ले रहे है। यह शिविर 8 जून से आरम्भ हुआ था और 17 जून तक चलेगा।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के उप निदेशक सीताराम गर्ग ने कहा कि शिक्षा विभाग में युग परिर्वतन हुआ है। राजकीय विद्यालयों के प्रति अभिभावकों में विश्वास पुनः बहाल हुआ है। विद्यालयों में समाज में पुनः प्रतिष्ठा प्राप्त की है।
इस अवसर पर अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी दर्शना शर्मा, ओमप्रकाश शर्मा, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के एडीपीसी रामनिवास गालव, सर्व शिक्षा अभियान के एडीपीसी दिनेश ओझा, शिविर प्रभारी अंशु बंसल उपस्थित थे।
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